किस्से कहानी – लोकेश गुलयानी के जुबानी पर जयलक्ष्मी आर विनायक का लेख।

एक वार्तालाप राजीव मिश्रा का लोकेश गुल्यानी के साथ

 

लोकेश गुल्यानी के साथ क्ल़ब लिटरेटी मे रुबरु होने पर उनकी तीन कहायनियों को सुनने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ। तीनों कहानियां गहन संवेदनशीलता से ओतप्रोत पद्यमय थी।

पहली कहानी ‘रिजु की दुल्ली’ एक प्रेम कहानी है नदी और पुल की पृष्ठभूमि मे दो प्रेमियों की धडकनों की रवानी कलकलाती नदी मे सुनाई देती है। नदी और पुल को लेखक ने प्रेम का साक्षी बनाया है।

‘कुछ नही’ कहानी कवितामय है। रुपक और प्रतीकों के माध्यम से लोकेश जी ने सनो और सपन का प्रेम दर्शाया है। जहाँ शारीरिक प्रेम का अंत होता है, किस तरह से लिव इन, गिव इन मे परिवर्तित होजाता है। जीवन के इस सत्य को उजागर

किया है। रात, कमरे, दिवारो का सुंदर मानवीयकरण किया है। शब्दों का संयोजन सटीक बन पड़ा है।

तीसरी कहानी ‘हम प्रेम मे हैं’ माधव और रागिनी की चुहलबाजी है। माधव के तीव्र प्रेम की विक्षिप्तता और रागिनी की अरुचिपूर्ण तटस्थता माधव को असमंजसता मे डालती है। यह कहानी अप्रकाशित है। लोकेश गुल्यानी की इन अप्रतिम कहानियों के लिए उन्हे बहुत सी शुभकामनाएं।

जयलक्ष्मी आर विनायक

Author: Club Literati

Bhopal club for people who live in the books.

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