संगीता गुन्देचा कि पडिक्कमा

5th July, 2023: स्वामी विवेकानन्द लाइब्रेरी में संगीता गुन्देचा के साथ कविताओं पर चर्चा करते हुए एक शाम बिताई।
क्लब लिटराटी द्वारा आयोजित पुस्तक चर्चा का विषय संगीता गुन्देचा की नई प्रकाशित पुस्तक के बारे में था, जो न केवल एक कवि हैं, बल्कि एक कहानीकार, निबंधकार, अनुवादक और नाट्यशास्त्रज्ञ भी हैं। चर्चा की संचालन डॉ. रेखा श्रीवास्तव ने किया और शाम की कवयित्री संगीता गुंदेचा के साथ अंतरंग चर्चा के लिए ध्रुव शुक्ल, अरुणाभ  सौरभ और गीत चतुर्वेदी भी शामिल हुए।
जब संगीता गुन्देचा से पूछा गया कि उन्होंने ने अपनी किताब का नाम पडीक्कमा क्यों रखा है तो उन्होंने जवाब दिया कि पडीक्कमा प्राकृत भाषा का शब्द है। इस शब्द का मूल है पडिक्कमन, जिसका अर्थ है लौटना। पडिक्कमा कविता साल 2019 में दो रिश्तेदारों यानी बाबूजी (पिता सीएम गुन्देचा) और विमल दा (बड़े भाई रमाकांत गुन्देचा) की वापसी पर लिखी गई है। यह कविता परिवार के इन दो सदस्यों की मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमती है। किताब का नाम भी पडीक्कमा है क्योंकि कविता करना अपने मृतकों और परिक्रमा पर निकले पूर्वजों की परिक्रमा करने जैसा है।
संगीता गुन्देचा ने संस्कृत के चम्पूकाव्य, जिसमें पद्य और गद्य दोनों समाहित हैं, से प्रेरित होकर हिंदी साहित्य में पडीक्कमा कविता लिखकर ‘चम्पू कविता’ नामक एक नई शैली को जन्म दिया। यह उनके काव्य संग्रह का हिंदी साहित्य को एक महत्वपूर्ण योगदान है।
पैनल के सदस्यों ने पुस्तक पर अपने विचार भी साझा किये।

Author: Club Literati

Bhopal club for people who live in the books.

Leave a Reply